
बिहार की राजनीति में नाम और विवादों के पर्याय बने राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का एक दिलचस्प किस्सा फिर सुर्खियों में है। संकर्षण ठाकुर की चर्चित किताब ‘बंधु बिहारी’ में खुलासा किया गया कि पप्पू यादव ने लालू यादव की सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती से शादी की इच्छा जताई थी।
यह प्रस्ताव लालू को इतना नागवार गुज़रा कि उन्होंने पप्पू से नाता ही तोड़ लिया। सत्ता में उपयोगी एक “दबंग” तो चल सकता है, लेकिन “दामाद”? नहीं!
किताब ने खोली पप्पू-लालू रिश्ते की परतें
1990 के दशक में पप्पू यादव और लालू यादव के रिश्ते काफी घनिष्ठ थे। पप्पू की दबंग छवि लालू को अपने “MY (Muslim-Yadav)” समीकरण में उपयोगी लगती थी। लेकिन जब पप्पू ने मीसा से शादी की इच्छा जाहिर की, तो लालू यादव को यह “दुस्साहस” बर्दाश्त नहीं हुआ।
ठाकुर लिखते हैं — “लालू के लिए पप्पू यादव एक राजनीतिक संसाधन थे, रिश्तेदार नहीं।”
‘हर जेल में गया हूं’ – पप्पू का गर्व?
पप्पू यादव को “थोड़ा गैंगस्टर, थोड़ा ठेकेदार, थोड़ा जाति-प्रभु” बताया गया है। उन्होंने खुद कई बार कहा है कि बिहार की शायद ही कोई जेल हो जहां वे न गए हों। लेकिन इसी सफर ने उन्हें सहरसा-पूर्णिया की जमीन से संसद तक पहुंचाया।
तेजस्वी के साथ फिर नजदीकी?
मीसा से शादी की कोशिश ने पप्पू-लालू संबंधों में दरार डाल दी थी, लेकिन अब तस्वीर बदलती दिख रही है। तेजस्वी यादव और पप्पू यादव के बीच हालिया ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान बढ़ती नजदीकियों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा दी है।

पप्पू ने तेजस्वी को ‘जननायक’ तक कह डाला — एक ऐसा विशेषण जो अब तक सिर्फ कर्पूरी ठाकुर को मिलता था।
क्या लालू यादव माफ करेंगे?
राजनीति में न कोई स्थायी दुश्मन होता है, न दोस्त। पप्पू यादव, जिनका नाम लालू परिवार से कभी नाता और कभी विवाद से जुड़ा रहा है — अब फिर से समीकरण साधने की कोशिश कर रहे हैं।
पर सवाल वही — क्या लालू यादव उन्हें माफ कर पाएंगे?
निजी रिश्ते vs राजनीतिक हित
बिहार की राजनीति हमेशा से भावनाओं और सत्ता की टकराहट का अखाड़ा रही है। पप्पू यादव और मीसा भारती की यह अधूरी कहानी आज भी राजनीति के गहराते समीकरणों को नए मायनों में पेश करती है।
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